Top sidh kunjika Secrets
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
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ओं अस्य श्री कुञ्जिका स्तोत्रमन्त्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ओं ऐं बीजं, ओं ह्रीं शक्तिः, ओं क्लीं कीलकम्, मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
छठ here की व्यापकता में पोखर तालाब से टूटता नाता
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
पाठ मात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।।
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.